कुछ एहसास कहे नहीं जाते, बस महसूस किए जाते हैं। कुछ बातें शब्दों में ढलकर भी अधूरी लगती हैं, और कुछ खामोशियाँ अपने आप बहुत कुछ कह जाती हैं। यही जज़्बात इस किताब के पन्नों में सहेजे गए हैं। यह सिर्फ़ कविताओं का संकलन नहीं, बल्कि दिल से निकले उन भावों की यात्रा है, जो कभी चांदनी रातों में चमके, कभी बारिश की बूंदों में बह गए, और कभी किसी अधूरे ख्वाब की तरह रह गए। हर कविता एक एहसास है-कभी प्रेम की मिठास, कभी विरह की कसक, तो कभी जीवन के गहरे रंगों की झलक। अगर आपने कभी अकेले बैठकर अपनी भावनाओं को शब्दों में पिरोने की कोशिश की है, अगर किसी कविता ने कभी आपके मन की बात कह दी है, तो यह किताब आपके लिए ही…mehr
कुछ एहसास कहे नहीं जाते, बस महसूस किए जाते हैं। कुछ बातें शब्दों में ढलकर भी अधूरी लगती हैं, और कुछ खामोशियाँ अपने आप बहुत कुछ कह जाती हैं। यही जज़्बात इस किताब के पन्नों में सहेजे गए हैं। यह सिर्फ़ कविताओं का संकलन नहीं, बल्कि दिल से निकले उन भावों की यात्रा है, जो कभी चांदनी रातों में चमके, कभी बारिश की बूंदों में बह गए, और कभी किसी अधूरे ख्वाब की तरह रह गए। हर कविता एक एहसास है-कभी प्रेम की मिठास, कभी विरह की कसक, तो कभी जीवन के गहरे रंगों की झलक। अगर आपने कभी अकेले बैठकर अपनी भावनाओं को शब्दों में पिरोने की कोशिश की है, अगर किसी कविता ने कभी आपके मन की बात कह दी है, तो यह किताब आपके लिए ही है। इन पंक्तियों में शायद आपको अपनी ही कोई अधूरी कहानी मिल जाए।
कभी बचपन में किसी कोने में बैठकर कागज़ पर बेतरतीब शब्द लिखना, कभी चुपचाप खिड़की से बाहर देखते हुए ख़यालों में डूब जाना-शायद वहीं से शब्दों से दोस्ती की शुरुआत हुई थी। तनय सक्सेना के लिए कविता सिर्फ़ लिखने का तरीका नहीं, बल्कि खुद को समझने और दुनिया से जुड़ने का जरिया भी रही है। एक समय था जब वो रेडियो पर अपनी आवाज़ से कहानियाँ सुनाते थे, और अब शब्दों के ज़रिए भावनाओं को सहेजते हैं। उनकी कविताएँ कभी हल्की बारिश की बूंदों की तरह मन को भिगो देती हैं, तो कभी तेज़ हवा की तरह एहसासों को झकझोर देती हैं। यह किताब उनकी उन भावनाओं का संग्रह है, जो कभी किसी शाम की चाय के साथ मन में आईं, तो कभी रात के सन्नाटे में कलम पर उतर आईं। हो सकता है, इन पन्नों में आपको अपनी ही कोई अधूरी कहानी मिल जाए।
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