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सुख-दुख के बहुमूल्य रगों से अलंकृत है हमारा जीवन, ये चाहे अनचाहे फल ही तो जीवन जीने का हौसला और जीवन यात्रा को सार्थकता प्रदान करते है। जीवन के उबड़ खाबड़, सुनहरे पथरीले, चाहे अनचाहे अनुभवों को काव्य पक्तियों में सजोने का लघु प्रयास है यह काव्य-संग्रह। कोई भी पथ हो. कैसा भी मंजर हो, पथिक तो निरंतर प्रयासरल होते है । प्रत्येक सम विषम परिस्थितियों में भावनाओं के भवर में फसकर भी संघर्ष करने और जीवन सालों का सम्मान करने का नाम है...""जिंदगी फिर भी मुस्कुराती है...""

Produktbeschreibung
सुख-दुख के बहुमूल्य रगों से अलंकृत है हमारा जीवन, ये चाहे अनचाहे फल ही तो जीवन जीने का हौसला और जीवन यात्रा को सार्थकता प्रदान करते है। जीवन के उबड़ खाबड़, सुनहरे पथरीले, चाहे अनचाहे अनुभवों को काव्य पक्तियों में सजोने का लघु प्रयास है यह काव्य-संग्रह। कोई भी पथ हो. कैसा भी मंजर हो, पथिक तो निरंतर प्रयासरल होते है । प्रत्येक सम विषम परिस्थितियों में भावनाओं के भवर में फसकर भी संघर्ष करने और जीवन सालों का सम्मान करने का नाम है...""जिंदगी फिर भी मुस्कुराती है...""
Autorenporträt
डॉ श्रीमती आराधना भटनागर, शिक्षा के क्षेत्र में एक जाना माना नाम है। 33 वर्षों के विस्तृत अनुभव के साथ आज भी शिक्षण अध्यापन कार्य में निरंतर कार्यरत है। हिंदी साहित्य में विशेष रुचि होने के कारण ही B.Sc, M.Sc, B.Ed, M.Ed तथा Ph.D की उच्च शिक्षा ग्रहण करने के पश्चात हिंदी साहित्य में M.A भी किया है। तीन दशकों तक विभिन्न वर्ग के विद्यार्थियों के संपर्क में रहते हुए, गहन अनुभव प्राप्त कर,विज्ञान तथा अधिगम विषयक पुस्तकें प्रकाशित करने के पश्चात शब्दों का ताना-बाना बुनकर भावपूर्ण प्रस्तुति का प्रथम प्रयास है,यह काव्य संग्रह ""जिंदगी फिर भी मुस्कुराती है...""