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वो जिसे हम मैं कहते हैं, वो कितने सारे मैं का बना होता है। कभी उधेड़ा है उसे? मेरे मैं में लगे हैं, एक माँ, एक संगिनी, एक बेटी, एक बहन, एक सूट बूट वाली कॉर्पोरेट अफसर, एक भूली बिसरी विद्रोही, एक कबीर गाती फ़कीर, ऐसे कई पैबंद । बस इन सबका गठजोड़ मैं। मीठी सूई और नमकीन धागे से उधड़ती बुनती मैं!!

Produktbeschreibung
वो जिसे हम मैं कहते हैं, वो कितने सारे मैं का बना होता है। कभी उधेड़ा है उसे? मेरे मैं में लगे हैं, एक माँ, एक संगिनी, एक बेटी, एक बहन, एक सूट बूट वाली कॉर्पोरेट अफसर, एक भूली बिसरी विद्रोही, एक कबीर गाती फ़कीर, ऐसे कई पैबंद । बस इन सबका गठजोड़ मैं। मीठी सूई और नमकीन धागे से उधड़ती बुनती मैं!!
Autorenporträt
वैदेही पेशे से पटकथा लेखक हैं। दो नाटक और कुछ लघु फिल्मों की लेखिका हैं। FTII में पढ़ीं वैदेही का यह दूसरा कविता संग्रह है।