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"श्रद्धा सुमन" मेरी पहली कविता संग्रह है ! इस किताब को लिखने के पीछे 'पहलगाम की घटना' का बड़ा असर है । दरअसल उस घटना के बाद मैंने कविता " मैं हिंदू हूँ " लिखी। सबने बहुत सराहा और छपवाने के लिए प्रोत्साहित किया, तो हौसला बढ़ा । ईश्वर से लौ लगाने लगा तो उनकी स्तुति लिखने लगा, कुंभ के दौरान सनातनी जागृत हुआ तो इस माहौल से कविताएँ प्रभावित हुईं ! इसमें आस्था, भक्ति और मनोभावों की मिलीजुली प्रक्रिया है । "श्रद्धा सुमन" ईश्वर के चरणों में समर्पित आस्था के कुछ फूल हैं । परिवार से मुझे समर्थन और हिम्मत मिलती रही और ईश्वर से आशीर्वाद! नतीजा आपके हाथ में है । Book leaf publishing का दिल से धन्यवाद !

Produktbeschreibung
"श्रद्धा सुमन" मेरी पहली कविता संग्रह है ! इस किताब को लिखने के पीछे 'पहलगाम की घटना' का बड़ा असर है । दरअसल उस घटना के बाद मैंने कविता " मैं हिंदू हूँ " लिखी। सबने बहुत सराहा और छपवाने के लिए प्रोत्साहित किया, तो हौसला बढ़ा । ईश्वर से लौ लगाने लगा तो उनकी स्तुति लिखने लगा, कुंभ के दौरान सनातनी जागृत हुआ तो इस माहौल से कविताएँ प्रभावित हुईं ! इसमें आस्था, भक्ति और मनोभावों की मिलीजुली प्रक्रिया है । "श्रद्धा सुमन" ईश्वर के चरणों में समर्पित आस्था के कुछ फूल हैं । परिवार से मुझे समर्थन और हिम्मत मिलती रही और ईश्वर से आशीर्वाद! नतीजा आपके हाथ में है । Book leaf publishing का दिल से धन्यवाद !
Autorenporträt
"अगर मैं सिविल इंजीनियर ना होता तो क्या होता ?" ये प्रश्न एक बार मुझसे एक टीम बिल्डिंग एक्टिविटी में पूछा गया और without any second thought मैंने कहा "Poet" और सबका रिएक्शन था "क्या !!!" मुझे बचपन से ही creativity में रुचि थी मैं लिखता और माँ के आगे पीछे घूम सुनाता, शाबाशी मिलती, गर्व से मेहमानों के सामने मुझसे मेरी रचनाएँ पढ़वायी जातीं । ताली बजती ! बस !! कविता पेट नहीं पाल सकती । परिवार की अपेक्षाओं के अनुरूप Engineer बना । व्यस्त रहा, लिखना छूट गया! ४० साल अपने पहले प्रेम से दूर रहा । अब मिला हूँ तो जम के मिलूँगा । खूब जमेगी जब मिल बैठेंगे तीन यार, मैं, तुम और मेरा पहला प्यार ।