"महिला सशक्तिकरण एक रहस्य - हर महिला के सशक्त होने की गारंटी क्या वाकई हम महिलाओं को सशक्त बना रहे हैं या सिर्फ एक परंपरा की जंजीरों में जकड़े हुए हैं? हम देवी को पूजते हैं, मगर बेटी के जन्म पर दुखी हो जाते हैं। हम स्त्री को लक्ष्मी मानते हैं, मगर शादी के बाद उसे ही अपने घर से विदा कर देते हैं। यह पुस्तक एक साहसिक सवाल उठाती है क्या महिलाओं के शोषण की असली जड़ ""विदाई"" की परंपरा है? लेखिका ने बेहद सरल लेकिन गहराई से समाज की उन जटिल कड़ियों को खोला है जो स्त्रियों के आत्मसम्मान, स्वतंत्रता और अधिकारों को कुचलती आई हैं। दहेज, परदा, करियर की आज़ादी, घर-गृहस्थी की सारी ज़िम्मेदारियाँ - सबका मूल यही मान्यता है कि शादी के बाद सिर्फ लड़की को ही घर छोड़ना होगा। यह पुस्तक कोई आदर्शवादी सपना नहीं दिखाती, बल्कि एक ठोस समाधान देती है जब तक बेटियों की विदाई नहीं रुकेगी, महिला सशक्तिकरण अधूरा रहेगा। बेटियाँ भी वारिस हैं। वे केवल घर की इज्जत नहीं, भविष्य भी हैं। अगर वे अपने घर में ही रहें, तो दहेज भी बचेगा, माँ-बेटी का रिश्ता भी और हर स्त्री को मिलेगा असली सम्मान। यह पुस्तक एक क्रांति की शुरुआत है - परंपरा को समझने, चुनौती देने और एक बेहतर समाज की कल्पना करने की। पढ़िए, सोचिए, और बदलाव का हिस्सा बनिए।"
Bitte wählen Sie Ihr Anliegen aus.
Rechnungen
Retourenschein anfordern
Bestellstatus
Storno







