10,99 €
inkl. MwSt.
Versandkostenfrei*
Versandfertig in über 4 Wochen
payback
5 °P sammeln
  • Broschiertes Buch

"अल्फ़ाज़ों की दस्तक" सिर्फ़ कविताओं का संकलन नहीं, बल्कि ज़िंदगी के अनकहे एहसासों की गूंज है। इसमें रिश्तों की मासूमियत, संघर्ष की तपिश, मोहब्बत के रंग और जुदाई की टीस दर्ज है। यह संग्रह कभी उम्मीद की रोशनी दिखाता है, तो कभी हकीकत की सख़्त ज़मीन से रूबरू कराता है। मेहनतकश ज़िंदगियों की तपिश हो या हालात के हाथों मजबूर इंसान, हर कविता में संवेदनाओं की गहरी छाप है। यदि इन शब्दों में आपका कोई एहसास प्रतिबिंबित होता है, तो यही इस पुस्तक की सबसे बड़ी सार्थकता होगी।

Produktbeschreibung
"अल्फ़ाज़ों की दस्तक" सिर्फ़ कविताओं का संकलन नहीं, बल्कि ज़िंदगी के अनकहे एहसासों की गूंज है। इसमें रिश्तों की मासूमियत, संघर्ष की तपिश, मोहब्बत के रंग और जुदाई की टीस दर्ज है। यह संग्रह कभी उम्मीद की रोशनी दिखाता है, तो कभी हकीकत की सख़्त ज़मीन से रूबरू कराता है। मेहनतकश ज़िंदगियों की तपिश हो या हालात के हाथों मजबूर इंसान, हर कविता में संवेदनाओं की गहरी छाप है। यदि इन शब्दों में आपका कोई एहसास प्रतिबिंबित होता है, तो यही इस पुस्तक की सबसे बड़ी सार्थकता होगी।
Autorenporträt
रणविजय कुमार का जन्म 08 जनवरी 1980 को बिहार के पटना जिले के मनेर प्रखंड के लोदीपुर गाँव में हुआ। हिन्दी साहित्य और सामाजिक विकास में रुचि रखने वाले रणविजय ने मगध विश्वविद्यालय से स्नातक और पटना विश्वविद्यालय से ग्रामीण विकास में स्नातकोत्तर किया। पिछले दो दशकों से सामाजिक क्षेत्र में सक्रिय रहने के कारण उनकी लेखनी संवेदनशील और यथार्थपरक बनी। उनकी साहित्यिक यात्रा वर्ष 2000 में शुरू हुई, और 2003 में उनकी पहली कविता "गरीबी की सीमा पर" सामयिक वार्ता में प्रकाशित हुई। कुछ समय लेखन से दूर रहने के बाद, 2025 में उन्होंने "अल्फ़ाज़ों की दस्तक" कविता संग्रह के साथ पुनरागमन किया है।