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"इक्कीस दिन इक्कीस कविता" एक अनूठा काव्य संग्रह है जो समकालीन जीवन की विविध छवियों को प्रस्तुत करता है। चार्टर्ड एकाउंटेंट संतोष "रागी" मिश्र की यह रचनाएँ आधुनिक जीवन की चुनौतियों से लेकर ग्रामीण संस्कृति की सादगी तक का सफर तय करती हैं। डिजिटल युग में रिश्तों की बदलती परिभाषा, मासूम बचपन की व्यथा, प्रेम की कोमल अनुभूतियाँ और जीवन-दर्शन की गहरी समझ इस संग्रह को एक अलग पहचान देती हैं। कवि की संवेदनशील दृष्टि और सहज भाषा पाठकों को एक नया नज़रिया देती है।

Produktbeschreibung
"इक्कीस दिन इक्कीस कविता" एक अनूठा काव्य संग्रह है जो समकालीन जीवन की विविध छवियों को प्रस्तुत करता है। चार्टर्ड एकाउंटेंट संतोष "रागी" मिश्र की यह रचनाएँ आधुनिक जीवन की चुनौतियों से लेकर ग्रामीण संस्कृति की सादगी तक का सफर तय करती हैं। डिजिटल युग में रिश्तों की बदलती परिभाषा, मासूम बचपन की व्यथा, प्रेम की कोमल अनुभूतियाँ और जीवन-दर्शन की गहरी समझ इस संग्रह को एक अलग पहचान देती हैं। कवि की संवेदनशील दृष्टि और सहज भाषा पाठकों को एक नया नज़रिया देती है।
Autorenporträt
""संतोष """"रागी"""" मिश्र, सीए समकालीन हिंदी साहित्य में संतोष """"रागी"""" एक उभरते हुए संवेदनशील और सशक्त कवि हैं, जिनकी रचनाएँ समाज और जीवन के गहरे पहलुओं को सरलता और गहनता से अभिव्यक्त करती हैं। बिहार के अररिया जिले के परमानंदपुर गाँव में जन्मे संतोष 'रागी' का बचपन ग्रामीण परिवेश में बीता, जिसने उनके विचारों और संवेदनाओं को गहराई से प्रभावित किया। पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट होते हुए भी साहित्य और लेखन में उनकी गहरी रुचि है। वर्तमान में वे पटना स्थित अपने कार्यालय से व्यावसायिक जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए साहित्यिक साधना में संलग्न हैं। उनके माता-पिता, श्री इंद्रानंद मिश्र और श्रीमती जयमाला देवी, ने उन्हें मेहनत, संस्कार और संवेदनशीलता की अमूल्य धरोहर सौंपी, जो उनकी रचनाओं में स्पष्ट परिलक्षित ह""