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'ख़ामोश जज़्बात' एक दिल को छू लेने वाली शायरी की किताब है जो ज़िंदगी के हर रंग और जज़्बे को बयां करती है। मोहब्बत, दर्द, उम्मीद और खुशियों के नाज़ुक अहसासों को शब्दों में पिरोती यह किताब, पाठकों के दिलों को गहराई से छूती है। हर ग़ज़ल और नज़्म एक अलग कहानी कहती है, जो रूह की आवाज़ बनकर सामने आती है। यह किताब उन्हीं जज़्बातों का आईना है जो हम सबकी ज़िंदगी में कभी न कभी बसा करते हैं।

Produktbeschreibung
'ख़ामोश जज़्बात' एक दिल को छू लेने वाली शायरी की किताब है जो ज़िंदगी के हर रंग और जज़्बे को बयां करती है। मोहब्बत, दर्द, उम्मीद और खुशियों के नाज़ुक अहसासों को शब्दों में पिरोती यह किताब, पाठकों के दिलों को गहराई से छूती है। हर ग़ज़ल और नज़्म एक अलग कहानी कहती है, जो रूह की आवाज़ बनकर सामने आती है। यह किताब उन्हीं जज़्बातों का आईना है जो हम सबकी ज़िंदगी में कभी न कभी बसा करते हैं।
Autorenporträt
एमन आलम (आरज़ू )एक एहसासाती शायरा हैं जिनकी तहरीरें दिल के गहरे कोनों से निकलकर जज़्बातों की खामोशी को आवाज़ देती हैं। 'ख़ामोश जज़्बात' उनकी ऐसी कोशिश है जिसमें मोहब्बत, जुदाई, उम्मीद और ज़िंदगी के नाज़ुक लम्हे रूह को छूते हैं। उनके लिए लिखना सिर्फ़ अल्फ़ाज़ बुनना नहीं, बल्कि जज़्बातों को महफ़ूज़ रखना है। आरज़ू का हर कलाम दिल से निकला एक पैग़ाम है - सादा, सच्चा और असरदार।