ख़्वाब - कभी आँखों की चमक बनते हैं, तो कभी तकिए पर रखे अनकहे सवाल बनकर नींदें चुराते हैं। ये किताब ऐसे ही सपनों की बात करती है-जो जिए गए, जो अधूरे रह गए, और जो अब अपनी मंज़िल की ओर बढ़ रहे हैं। इन कविताओं में ज़िंदगी के तमाम रंग हैं प्रेम की नर्म सी छाँव, संघर्ष की तपिश, उम्मीद की हल्की रोशनी, और रोज़मर्रा की उन भावनाओं की झलक जो हमें इंसान बनाती हैं। हर कविता में एक एहसास है, हर पंक्ति एक छोटी सी यात्रा। अगर कभी आपने भी किसी सपने को दिल में बसाया है या ज़िंदगी की ठहराव भरी शामों में खुद से बातें की हैं-तो ये कविताएँ आपको अपनी ही कहानी जैसी लगेंगी।
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