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जीवन के पंच रस, भावनाओं की नाव,एक आत्मिक समर्पण यह रचनात्मक यात्रा मेरे जीवन की उस धारा का रूप है, जिसमें पंच रसों की तरंगें बहती हैं - श्रृंगार का सौंदर्य और प्रेम, वीर रस की प्रेरणा और आस्था, करुण रस की संवेदना और मानवता, हास्य का प्रकाश और सरलता और अद्भुत का विस्मय, जो जीवन की हर सांस को चमत्कार बना देता है। यह कोई पुस्तक नहीं, कोई कविताओं का संकलन नहीं- यह मेरे हृदय की नदी है जिसकी हर एक बूँद अपने पाठकों तक प्रेम, अनुभव और आत्म-चिंतन बनकर पहुँचे,यही मेरी भावना है। भावनाओं की इस नाव में आप सहयात्री बनें, यही मेरी हार्दिक प्रार्थना है।

Produktbeschreibung
जीवन के पंच रस, भावनाओं की नाव,एक आत्मिक समर्पण यह रचनात्मक यात्रा मेरे जीवन की उस धारा का रूप है, जिसमें पंच रसों की तरंगें बहती हैं - श्रृंगार का सौंदर्य और प्रेम, वीर रस की प्रेरणा और आस्था, करुण रस की संवेदना और मानवता, हास्य का प्रकाश और सरलता और अद्भुत का विस्मय, जो जीवन की हर सांस को चमत्कार बना देता है। यह कोई पुस्तक नहीं, कोई कविताओं का संकलन नहीं- यह मेरे हृदय की नदी है जिसकी हर एक बूँद अपने पाठकों तक प्रेम, अनुभव और आत्म-चिंतन बनकर पहुँचे,यही मेरी भावना है। भावनाओं की इस नाव में आप सहयात्री बनें, यही मेरी हार्दिक प्रार्थना है।
Autorenporträt
डॉ॰ परमदेव सिंह का जन्म महाराष्ट्र राज्य के पुणे नगर में हुआ। हरियाणा के भिवानी क्षेत्र के बापोडा ग्राम के वे निवासी हैं। उन्होंने अपनी शिक्षा भारतवर्ष के विभिन्न नगरों में प्राप्त की, जिससे उन्हें विविध सांस्कृतिक और शैक्षणिक अनुभव प्राप्त हुए। भौतिक विज्ञान में विशेषज्ञता प्राप्त करने के उपरांत उन्होंने देश की अनेक प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थाओं एवं विद्यालयों में कार्य किया। वर्तमान में वे विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों में विशिष्ट पदों पर कार्यरत हैं। डॉ॰ सिंह न केवल एक समर्पित शिक्षक हैं, बल्कि एक संवेदनशील सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं। समाज, प्रकृति और मानवता के प्रति उनका दृष्टिकोण सदैव उत्तरदायित्वपूर्ण एवं प्रेरणादायक रहा है।