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वर्तमान समय में देश के नागरिकों को विस्मृत होते जा रहे पुराणों के कथा-संसार से परिचित कराने के उद्देश्य से शुभदा प्रकाशन जोधुपर ने 'पुराणों की कथाएँ' नामक शृंखला आरम्भ की है। इस पुस्तक- शृंखला में हमने भारतीय पुराणों में से कुछ रोचक कथाएं चुनकर उनके वैज्ञानिक पक्ष सहित प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। इस श्ृंखला के प्रथम पुष्प के रूप में हमने उन कथाओं को चुना है जो सृष्टि निर्माण की प्रारम्भिक घटनाओं से जुड़ी हुई हैं अथवा सृष्टि निर्माण के काल में हुए भगवान श्रीहरि विष्णु के प्रारम्भिक पांच अवतारों- मत्स्य अवतार, कूर्म अवतार, वराह अवतार, नृसिंह अवतार एवं वामन अवतार से सम्बद्ध हैं। इस पुस्तक के…mehr

Produktbeschreibung
वर्तमान समय में देश के नागरिकों को विस्मृत होते जा रहे पुराणों के कथा-संसार से परिचित कराने के उद्देश्य से शुभदा प्रकाशन जोधुपर ने 'पुराणों की कथाएँ' नामक शृंखला आरम्भ की है। इस पुस्तक- शृंखला में हमने भारतीय पुराणों में से कुछ रोचक कथाएं चुनकर उनके वैज्ञानिक पक्ष सहित प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। इस श्ृंखला के प्रथम पुष्प के रूप में हमने उन कथाओं को चुना है जो सृष्टि निर्माण की प्रारम्भिक घटनाओं से जुड़ी हुई हैं अथवा सृष्टि निर्माण के काल में हुए भगवान श्रीहरि विष्णु के प्रारम्भिक पांच अवतारों- मत्स्य अवतार, कूर्म अवतार, वराह अवतार, नृसिंह अवतार एवं वामन अवतार से सम्बद्ध हैं। इस पुस्तक के अंत में हमने चौदह मनुओं की कथाओं को रखा है जो प्रत्येक 'मनवन्तर' के आरम्भ में आते हैं तथा मनवन्तर के अंत तक विद्यमान रहते हैं। इस पुस्तक में पुराणों से चुनकर तेबीस महत्वपूर्ण एवं रोचक कथाएं दी गई हैं।