प्रद्युम्न एक भावनात्मक और विचारशील कविता-संग्रह है, जो मानव जीवन के विविध पहलुओं को संवेदनशीलता और गहराई से उकेरता है। यह संग्रह हृदय की उन अनकही बातों को शब्द देता है जो अक्सर चुपचाप हमारे भीतर पलती रहती हैं। प्रेम, पीड़ा, आशा, विरह, प्रकृति, समाज और आत्मचिंतन जैसे विषयों को यह पुस्तक सहज, संप्रेषणीय भाषा में प्रस्तुत करती है। हर कविता अपने आप में एक अनुभव है-कहीं स्मृतियों की कोमल छाया है, तो कहीं वर्तमान की तीव्र धड़कन। यह कविता-संग्रह एक ऐसे संसार में ले जाता है जहाँ हर पत्ता बोलता है, हर नदी गुनगुनाती है और हर खेत कविता रचता है। यह प्रेम के रंगों, यादों की मिठास, विरह की टीस और पुनर्मिलन की मुस्कान को शब्दों में रचता है-शब्दों का एक नाजुक नृत्य, जो आत्मा की गहराइयों को स्पर्श करता है।
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