10,99 €
inkl. MwSt.
Versandkostenfrei*
Versandfertig in über 4 Wochen
payback
5 °P sammeln
  • Broschiertes Buch

मनोभाव सुधा-सिंधु का प्रकाशन इस उद्देश्य से किया जा रहा है कि कवि अपनी सोच को समाज के साथ साझा कर सके। क्योंकि हम सब एक दूसरे की सोच से उत्प्रेरित होते हैं। अपनी सोच का परिमार्जन और परिष्कार करते हैं। अनेक पाठक जो स्वयं कहना चाहते हैं वह कवि की कविताओं से यदि प्राप्त करते हैं तो मानसिक संतुष्टि का अनुभव करते हैं। यह काव्य संग्रह किसी विशेष विचारधारा या योजित विषय की प्रस्तुति नहीं है। मन में आये भावों की यथार्थ प्रस्तुति है। इतिहास नियोजित भी लिखे जाते हैं परंतु लंबे समय बाद साधारण काव्य ही हमारे आज को प्रतिबिंबित करता है। कवि कुछ नहीं करता वह तो समाज की सोच को समाज तक पहुंचाने का माध्यम मात्र…mehr

Produktbeschreibung
मनोभाव सुधा-सिंधु का प्रकाशन इस उद्देश्य से किया जा रहा है कि कवि अपनी सोच को समाज के साथ साझा कर सके। क्योंकि हम सब एक दूसरे की सोच से उत्प्रेरित होते हैं। अपनी सोच का परिमार्जन और परिष्कार करते हैं। अनेक पाठक जो स्वयं कहना चाहते हैं वह कवि की कविताओं से यदि प्राप्त करते हैं तो मानसिक संतुष्टि का अनुभव करते हैं। यह काव्य संग्रह किसी विशेष विचारधारा या योजित विषय की प्रस्तुति नहीं है। मन में आये भावों की यथार्थ प्रस्तुति है। इतिहास नियोजित भी लिखे जाते हैं परंतु लंबे समय बाद साधारण काव्य ही हमारे आज को प्रतिबिंबित करता है। कवि कुछ नहीं करता वह तो समाज की सोच को समाज तक पहुंचाने का माध्यम मात्र है। मेरा प्रयास सफल होगा यदि आप अपने आप को कहीं मेरी कविताओं में पा सकें।
Autorenporträt
नरेन्द्र कुमार अग्रवाल का जन्म 22 मई 1961 को जिला सहारनपुर, उत्तरप्रदेश वर्तमान में जिला हरिद्वार, उत्तराखंड के छोटे से कस्बे लक्सर में प्रतिष्ठित परिवार में हुआ था। आपने BA, BEd किया लेकिन मानसिक रूप से संतुष्टि MA दर्शन शास्त्र से करने पर प्राप्त हुई। पिता सुमत प्रसाद विद्वान थे। परिवार में सदैव राजनैतिक और सामाजिक चर्चा, परिचर्चा का वातावरण बना रहता था। हिंदी और उर्दू भाषा के पत्र-पत्रिकाएं घर में नियमित रूप से आते थे। नरेंद्र कुमार अग्रवाल ने 20 वर्ष की उम्र में गुरुदत्त, विमल मित्र, शरतचंद्र, शिवानी, मुंशी प्रेमचंद्र के अनेक उपन्यास पढ़ डाले थे। रूसी उपन्यासकार दोस्तोएवस्की ने भी उनको प्रभावित किया। राजनीति में रुचि थी लेकिन राजनीति के छल-छद्मों से समन्वय स्थापित न कर सके।