9,49 €
inkl. MwSt.
Versandkostenfrei*
Versandfertig in über 4 Wochen
payback
5 °P sammeln
  • Broschiertes Buch

इन छोटी छोटी रचनाओं में कहीं होली के उत्सव की तो कहीं श्रीकृष्ण के परम पावन नामों का गायन किया है। वैसे ये अंतरंग ह्दयोल्लास का विवरण हैं जो बृज के गोपी ग्वाल प्रभू श्रीकृष्ण के साथ हर दिन मनाते थे । श्री महाप्रभुजी ने जो सेवा रीति प्रकटायी है वो ही हमारे भावों को घडती है । भाषा सरल हिंदी एवं बृजभाषा है।

Produktbeschreibung
इन छोटी छोटी रचनाओं में कहीं होली के उत्सव की तो कहीं श्रीकृष्ण के परम पावन नामों का गायन किया है। वैसे ये अंतरंग ह्दयोल्लास का विवरण हैं जो बृज के गोपी ग्वाल प्रभू श्रीकृष्ण के साथ हर दिन मनाते थे । श्री महाप्रभुजी ने जो सेवा रीति प्रकटायी है वो ही हमारे भावों को घडती है । भाषा सरल हिंदी एवं बृजभाषा है।
Autorenporträt
मैं पुष्टिमार्गीय संप्रदाय से हूं । नाथद्वारा पिछवाई कला, बृज की सांझी चित्रण, और श्री ठाकुरजी की आरती की थाली चित्रण आदि हमारे परिवार की सेवा विधि में शामिल हैं । विभिन्न फूलों के हिंडोला, फूलमंडली एवं मालाजी की कला भी श्री ठाकुरजी को ऋतु अनुसार हम धराते हैं ।ग्रंथ साहित्य में विशेष रूचि हैं, यही इस पुस्तक की रचना का हेतु की मेरी भक्ति की सहज भावना आप के साथ साझा करूं । आप को प्रभुकृपा से इसमें आनंद आवे यही आशा है । मुंबई मोटा मंदिर के परंपरागत हम वल्लभ वंशज हैं ।