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एक सफरनामा जिसमे मैं हूँ, तुम हो और हम हैं। एक कोशिश ये ढूंढने की की 'हम' बनने में कही मैं और तुम खो तो नहीं गए।" मैं तुम और हम " उस सारी अनकही बातों का संकलन है जो या तो कही नहीं गयी, या समझी नहीं गयी, या कुछ ऐसा तो था तो हमेशा से पर अस्फुट भावनाओ के बीच दबा रह गया । इस पूरी यात्रा में आपको मिलेगा प्रेम, सम्मान, संघर्ष और उनसे गढ़े गए रिश्ते । यह संकलन उस यात्रा के नाम जो हम सब खुद में और अपने संबंधों में प्रतिदिन करते है।

Produktbeschreibung
एक सफरनामा जिसमे मैं हूँ, तुम हो और हम हैं। एक कोशिश ये ढूंढने की की 'हम' बनने में कही मैं और तुम खो तो नहीं गए।" मैं तुम और हम " उस सारी अनकही बातों का संकलन है जो या तो कही नहीं गयी, या समझी नहीं गयी, या कुछ ऐसा तो था तो हमेशा से पर अस्फुट भावनाओ के बीच दबा रह गया । इस पूरी यात्रा में आपको मिलेगा प्रेम, सम्मान, संघर्ष और उनसे गढ़े गए रिश्ते । यह संकलन उस यात्रा के नाम जो हम सब खुद में और अपने संबंधों में प्रतिदिन करते है।
Autorenporträt
मीना अभिषेक, व्यवसाय से डेंटिस्ट और शौक से बागवानी करती हैं। जन्म से मीना सिंह पर शादी के बाद पति के नाम को खुद के साथ जोड़ना पसंद किया । ये कविता संग्रह शायद इसी विचारधारा से प्रेरित है। विचारधारा, जो मानती है की नए सम्बन्ध में जुड़ाव के साथ स्वयं के व्यक्तित्व का स्वातंत्र्य पूर्णतया संभव है। कभी किरदार बनके तो कभी कहानी, प्रयास है ये समझने का, की ' हम ' होने पर भी ' मैं ' और ' तुम ' का रहना संभव है।