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भारत की स्वतंत्रता के समय मेवाड़ का गुहिल राजकुल भारत का सबसे प्राचीन, वीर एवं वंदनीय राजकुल था। काल के प्रवाह में प्राचीन गुहिलों का अधिकांश इतिहास विलुप्त हो गया है, फिर भी जो कुछ उपलब्ध है, उससे गुहिलों की, भारत की राष्ट्रीय राजनीति पर पकड़ स्पष्ट रूप से परिलक्षित होती है। मध्यकाल में गुहिलों ने न केवल भारतीय राजनीति का निर्माण किया, अपितु वे भारतीय आन-बान और शान का प्रतीक बन गये। जब भारत के राजा मुगलों के दरबार में पंक्तिबद्ध होकर खड़े थे, तब मेवाड़ के महाराणा मुगलों को युद्धों के लिए ललकार रहे थे। 'हिन्दुआ सूरज' कहकर समग्र राष्ट्र ने शताब्दियों तक महाराणाओं की वंदना की। आधुनिक काल में मेवाड़…mehr

Produktbeschreibung
भारत की स्वतंत्रता के समय मेवाड़ का गुहिल राजकुल भारत का सबसे प्राचीन, वीर एवं वंदनीय राजकुल था। काल के प्रवाह में प्राचीन गुहिलों का अधिकांश इतिहास विलुप्त हो गया है, फिर भी जो कुछ उपलब्ध है, उससे गुहिलों की, भारत की राष्ट्रीय राजनीति पर पकड़ स्पष्ट रूप से परिलक्षित होती है। मध्यकाल में गुहिलों ने न केवल भारतीय राजनीति का निर्माण किया, अपितु वे भारतीय आन-बान और शान का प्रतीक बन गये। जब भारत के राजा मुगलों के दरबार में पंक्तिबद्ध होकर खड़े थे, तब मेवाड़ के महाराणा मुगलों को युद्धों के लिए ललकार रहे थे। 'हिन्दुआ सूरज' कहकर समग्र राष्ट्र ने शताब्दियों तक महाराणाओं की वंदना की। आधुनिक काल में मेवाड़ ने भारतीय राजनीति पर अपना प्रभाव उसी प्रतिष्ठा के साथ बनाए रखा। जब भारतीय राजे-महाराजे वायसराय के दरबार में उपस्थिति दे रहे थे, तब भारत के वायसराय महाराणाओं के लिए उपहार लेकर उदयपुर और चित्तौड़ के चक्कर लगा रहे थे। पढ़िए इस पुस्तक में मेवाड़ के महाराणाओं का महान् चरित्र जिन्होंने भारत की राष्ट्रीय राजनीति को हर युग में अपनी सुगंध से आप्लावित रखा।