स्त्री तुम अब बदल जाओ, एक कविता संग्रह हैं, जो महिलाओं के जन्म से लेकर वृद्ध अवस्था तक के सफ़र को बयां करने का प्रयत्न करता है। उनके द्वारा अपने अस्तित्व को बनाने के लिये सामाजिक, आर्थिक और मानसिक युद्ध जो हर रोज परम्पराओं और भेदभाव के खिलाफ लड़े जाते है, उसे दर्शाता है। इन कविताओं के माध्यम से कही हुई कहानियां, हमें न्याय की दूरबीन से उस समाज से रूबरू कराती है, जो इस तकनीकी दौर में होना चाहिए। यह कविताएं एक नई सोच, अलग नजरिया और नई परम्पराओं आगाज़ है।
Bitte wählen Sie Ihr Anliegen aus.
Rechnungen
Retourenschein anfordern
Bestellstatus
Storno