यह लघु उपन्यास माड़ की समसामयिक गतिविधियों के समांतर ही महसूस होगी। यह एक काल्पनिक कहानी के स्वरूप में आप लोगों के समक्ष प्रस्तुत है। प्रेम और विरह के विषय में हजारों कहानियां हमारे आस पास मौजूद है। लेकिन माड़ की अपनी एक अलग पहचान है,अलग बोली,संस्कृति है। यहां की भौगोलिक स्थिति,घने साल,सागौन,महुआ के जंगल,प्रेम से सराबोर है। माड़ का हर कोना अपनी कहानी कहता है सदियों से। यहां कुछ दशकों से एक द्वंद भी चल रहा है । इस द्वंद भरे माहौल में जिंदगी अपनी गति से चल रही है,लोक अपनी संस्कृति से,सरकार, औद्योगिक घराने, और व्यवस्था इन सब से ऊपर विराजमान है जो पहाड़ की तरह सीना ताने खड़ा है। इन सब के बीच प्रेम का नवांकुर भी है, खेती है, त्यौहार है, करसाड़ भी है, नेग रस्म भी है माड़ की चटक आमट की साग के साथ कोसरा भात का गुरुतूर स्वाद भी है। कुल मिलाकर निर्झर झरने से लेकर घने जंगलों के बीच कुछ पल रहा है वो आप इस उपन्यास में पाएंगे
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