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ग़ज़लकार इन्द्रसिंह अरसेला का चौथा ग़ज़ल संग्रह "मैं चुप रहा तो" प्रकाशित हो कर आपके हाथों में है। चूँकि आपके पूर्व के तीनों ग़ज़ल संग्रह भी अंजुमन प्रकाशन से ही प्रकाशित हैं, मैंने पाठक, प्रकाशक और ग़ज़ल-प्रेमी तीनों भूमिकाओं के साथ इन्द्रसिंह जी के ग़ज़ल लेखन की अब तक की यात्रा को बहुत करीब से देखा है और मेरे लिए यह सुखद अनुभव रहा है कि इन्द्रसिंह जी की यह साहित्यिक यायावरी दिनों-दिन और सघन, सुगम और संवर्धित हुई है।

Produktbeschreibung
ग़ज़लकार इन्द्रसिंह अरसेला का चौथा ग़ज़ल संग्रह "मैं चुप रहा तो" प्रकाशित हो कर आपके हाथों में है। चूँकि आपके पूर्व के तीनों ग़ज़ल संग्रह भी अंजुमन प्रकाशन से ही प्रकाशित हैं, मैंने पाठक, प्रकाशक और ग़ज़ल-प्रेमी तीनों भूमिकाओं के साथ इन्द्रसिंह जी के ग़ज़ल लेखन की अब तक की यात्रा को बहुत करीब से देखा है और मेरे लिए यह सुखद अनुभव रहा है कि इन्द्रसिंह जी की यह साहित्यिक यायावरी दिनों-दिन और सघन, सुगम और संवर्धित हुई है।