29,99 €
inkl. MwSt.
Versandkostenfrei*
Versandfertig in über 4 Wochen
payback
15 °P sammeln
  • Gebundenes Buch

सुप्रसिद्ध नाटककार विनोद रस्तोगी का जन्म 12 मई, 1923 को उत्तर प्रदेश के जिला फर्रुखाबाद के शमसाबाद कस्बे में हुआ था। उन्होंने प्रारम्भिक से उच्च (स्नातक) तक की शिक्षा शमसाबाद, फर्रुखाबाद, कन्नौज एवं कानपुर में प्राप्त की । कन्नौज में नौटंकी के बादशाह त्रिमोहन लाल और कानपुर में श्रीकृष्ण पहलवान को निकट से देखने-समझने का मौका उन्हें मिला। लेखन कविताओं से आरंभ हुआ और धीरे-धीरे नाटक मुख्य विधा बनी। निर्देशन व अभिनय की प्रतिभा के कारण ही आकाशवाणी के तत्कालीन महानिदेशक जगदीश चन्द्र माथुर ने उन्हें आकाशवाणी के इलाहाबाद केंद्र में असिस्टेंट ड्रामा प्रोड्यूसर के रूप में नियुक्त किया। अपने कार्यकाल के…mehr

Produktbeschreibung
सुप्रसिद्ध नाटककार विनोद रस्तोगी का जन्म 12 मई, 1923 को उत्तर प्रदेश के जिला फर्रुखाबाद के शमसाबाद कस्बे में हुआ था। उन्होंने प्रारम्भिक से उच्च (स्नातक) तक की शिक्षा शमसाबाद, फर्रुखाबाद, कन्नौज एवं कानपुर में प्राप्त की । कन्नौज में नौटंकी के बादशाह त्रिमोहन लाल और कानपुर में श्रीकृष्ण पहलवान को निकट से देखने-समझने का मौका उन्हें मिला। लेखन कविताओं से आरंभ हुआ और धीरे-धीरे नाटक मुख्य विधा बनी। निर्देशन व अभिनय की प्रतिभा के कारण ही आकाशवाणी के तत्कालीन महानिदेशक जगदीश चन्द्र माथुर ने उन्हें आकाशवाणी के इलाहाबाद केंद्र में असिस्टेंट ड्रामा प्रोड्यूसर के रूप में नियुक्त किया। अपने कार्यकाल के 22 वर्षों में उन्होंने नाट्य निर्देशन, लेखन एवं अभिनय में समान रूप से अपनी विशिष्ट पहचान बनाई। लोक नाट्य शैली नौटंकी को लोकप्रिय बनाने का जो महत्वपूर्ण कार्य उन्होंने किया, उसके लिए वे सदा स्मरण किए जाएंगे। उन्होंने नौटंकी को फूहड़ता और अश्लीलता से मुक्त करने की दिशा में अनेक प्रयोग किए। पारंपरिक नौटंकी को आधुनिक संदर्भ में लिखकर प्रस्तुत करने वाले वे गिने-चुने लोगों में थे। आकाशवाणी इलाहाबाद के एक बहुत ही चर्चित धारावाहिक 'मुंशी इतवारी लाल' से उन्हें काफी प्रसिद्धि मिली। सन् 1964 से इस धारावाहिक का प्रसारण शुरू हुआ एवं इसकी लगभग 150 किस्तें प्रसारित हुईं। यह भारतीय रेडियो के इतिहास में संभवतः सबसे अधिक प्रसारित होने वाला धारावाहिक था । वे इस धारावाहिक के मुख्य पात्र "मुंशी इतवारी लाल" का अभिनय व निर्देशन करते थे।