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हम एक ऐसी दुनिया में जी रहे हैं जहाँ परिपूर्णता की बड़ी कीमत है, पर वास्तव में हमें आगे बढ़ाने वाले कदम अक्सर वे होते हैं जिनमें हम गलती करते हैं। यह पुस्तक इसी सच्चाई को समझाती है कि गलतियाँ विफलता नहीं, बल्कि विकास का जरिया हैं। इसमें कई असली कहानियों के ज़रिए दिखाया गया है कि कैसे गलत फैसलों से सीखी गई बातें बड़ी सफलताओं में बदल सकती हैं—चाहे वो किसी वैज्ञानिक का बार-बार असफल प्रोटोटाइप हो या कोई कंपनी जो दिवालिया होते-होते खुद को नया आकार देती है। पुस्तक हमें प्रयोग करने, फीडबैक लेने, आत्मदया और खुद के साथ सहानुभूति रखने के व्यावहारिक तरीकों से परिचित कराती है। यह बताती है कि कैसे "छोटे…mehr

Produktbeschreibung
हम एक ऐसी दुनिया में जी रहे हैं जहाँ परिपूर्णता की बड़ी कीमत है, पर वास्तव में हमें आगे बढ़ाने वाले कदम अक्सर वे होते हैं जिनमें हम गलती करते हैं। यह पुस्तक इसी सच्चाई को समझाती है कि गलतियाँ विफलता नहीं, बल्कि विकास का जरिया हैं। इसमें कई असली कहानियों के ज़रिए दिखाया गया है कि कैसे गलत फैसलों से सीखी गई बातें बड़ी सफलताओं में बदल सकती हैं—चाहे वो किसी वैज्ञानिक का बार-बार असफल प्रोटोटाइप हो या कोई कंपनी जो दिवालिया होते-होते खुद को नया आकार देती है। पुस्तक हमें प्रयोग करने, फीडबैक लेने, आत्मदया और खुद के साथ सहानुभूति रखने के व्यावहारिक तरीकों से परिचित कराती है। यह बताती है कि कैसे "छोटे प्रयोग" और "जानबूझ कर की गई विफलता" से बड़ा नवाचार जन्म लेता है। चाहे आप विद्यार्थी हों, शिक्षक, प्रबंधक, रचनात्मक व्यक्ति या कोई अभिभावक—हर कोई इसमें से सीख सकता है कि गलतियाँ शर्म नहीं, बल्कि सीखने का न्यौता हैं। यह किताब आपको हिम्मत देती है कि आप अपनी गलतियों को दुश्मन नहीं, एक मार्गदर्शक समझें और उस स्वतंत्रता को अपनाएं जो असफलता को गले लगाने से मिलती है।