परिवर्तन संसार का नियम है। बदलते परिवेश के साथ परिवर्तन आवश्यक हो जाता है। अशोक कुमार, जो कि एक रिटायर्ड इंजीनियर हैं, जात पात व्यवस्था, दहेज प्रथा आदि सामाजिक बुराईयों के विरोधी और पुरातन परंपराओं के वाहक हैं। उनकी धर्मपत्नी गायत्री देवी भी पति की तरह ही दहेज विरोधी और परंपराओं का पालन करने वाली हैं। सबको अनुशासन में रख कर घर चलाना जानती हैं। पति पत्नी दोनों ही सबको खुश देखना चाहते हैं। इनके बड़े बेटे विपुल की पत्नी, तान्या तो परिवार के रंग में रंग जाती है। इनके छोटे बेटे विपुल ने अनाथ स्नेहा से प्रेम विवाह कर लिया है। स्नेहा, अशोक कुमार और गायत्री देवी की छोटी बेटी प्रेरणा की मदद से परंपराओं और सबकी खुशी में संतुलन स्थापित करने की भरपूर कोशिश की। किन्तु प्रेरणा के विवाह और स्नेहा की बच्ची के जन्म के बाद सब कुछ करते हुए उसकी अपनी खुशियां खो गईं और इसी उलझन में उसने अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली। सभी स्तब्ध रह गए। और फिर... परिस्थितियां बदलती हैं। विभिन्न पड़ावों से गुजरते हुए एक दिन विशाल का पुनर्विवाह प्रेरणा की सहेली विशाखा से हो जाता है।विशाखा नए विचारों और मूल्यों के साथ गृहप्रवेश करती है। और घर की कायापलट कर के रख देती है। लेकिन कैसे? जानने के लिए "आईए चलें TOWARDS A BALANCED LIFE".
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