बच्चों का मस्तिष्क कोरी स्लेट की तरह होता है। छोटी आयु में उन्हें जो भी सिखाया जाए, वह सब उनके मानस ल पर अंकित होता जाता है। उनके मानस पर जो कुछ अंकित हो जाता है, वह बडे़ होने पर भी स्थायी बना रहता है। ये कहानियाँ उन बच्चों को लक्ष्य कर लिखी गई हैं, जो अबोध आयु को पार कर किशोरावस्था में प्रवेश कर रहे हैं। आज के बच्चे समझते हैं कि कल्पना और यथार्थ में अंतर होता है। उन्हें यह ज्ञान होना चाहिए कि सत्य क्या है, उसे कैसे अभिव्यक्त करना चाहिए और क्या अच्छा है, क्या बुरा। प्रस्तुत संकलन में संकलित कहानियाँ मानवीय स्वभाव के सद्गुणों-अवगुणों और भावनाओं, जैसे—ईर्ष्या, छल, दूसरों की सहायता, कंजूसी आदि पर आधारित हैं। विश्वास है, इन्हें सुनकर आप भरपूर आनंद उठाएँगे
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